बेंगलूर। सियाचिन और कारगिल सरीखी बर्फीली जगहों पर तैनात भारतीय फौजी भी अब बेहतर और लजीज मांसाहारी व्यंजन खाने की उम्मीद कर सकते हैं। देश की प्रमुख रक्षा खाद्य प्रयोगशाला के प्रयासों से फौजी अब पैकेटबंद मटन और चिकन बिरयानी या मांसाहारी सैंडविच का स्वाद ले सकेंगे। ये खाद्य पदार्थ स्वादिष्ट होने के साथ ही सारे पोषक तत्वों से भरपूर होंगे। कई दौर के परीक्षण के बाद सेना ने इस विशेष पैकेटबंद खाने को मंजूरी दे दी है। बहुत जल्द इसका बड़े पैमाने पर उत्पादन शुरू कर दिया जाएगा।
अत्यंत ऊंचाई पर तैनात सेना के जवानों को मांसाहारी भोजन उपलब्ध कराने के प्रयासों के तहत मैसूर की डिफेंस फूड रिसर्च लेबोरेटरी [डीएफआरएल] ने इन खाद्य पदार्थो का एक विशेष पैक तैयार किया है। इसमें रखा मांसाहारी व्यंजन एक साल तक उतना ही स्वादिष्ट बना रहेगा और उसकी गुणवत्ता भी नष्ट नहीं होगी। डीएफआरएल के निदेशक अमरिंदर सिंह बावा ने कहा कि ये पैकेट गैर तापीय तकनीक पर आधारित हैं। उन्होंने कहा कि मांसाहार के प्रति भारतीय सेना की रुचि को देखते हुए हमने इन उत्पादों को विकसित किया है। इनमें मांसाहारी भोजन लंबे समय तक ताजा रहता है और शून्य से नीचे तापमान वाली जगहों पर भी बिल्कुल घर में बने खाने की तरह स्वाद बना रहता है।
बावा ने आगे बताया कि सशस्त्र बलों के लिए डीएफआरएल ने भूख बढ़ाने वाली खाद्य सामग्री और पेय पदार्थ भी तैयार किए हैं। खासकर जब जवान सियाचिन और कारगिल जैसी ऊंचाई वाली जगहों पर तैनात होते हैं तो उनमें भूख समाप्त होने के लक्षण दिखने लगते हैं। वे हमेशा पेट भरा महसूस करते हैं और एसिडिटी के शिकार हो जाते हैं। कम खाने की वजह से उनका वजन कम हो जाता है और स्वास्थ्य समस्याएं शुरू हो जाती हैं। इसी समस्या को दूर करने के लिए डीएफआरएल ने भूख बढ़ाने वाली खाद्य सामग्री और पेय पदार्थ तैयार किए हैं। इनमें कुछ मसाले, नींबू, अदरख, जीरा और दही मिला होता है

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