रक्षा मंत्री ए के एंटनी ने शुक्रवार को कहा कि जम्मू एवं कश्मीर और पूर्वोत्तर के राज्यों में आतंकवाद के खात्मे के लिए सेना को सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून की जरूरत है, इसलिए इसे रद्द नहीं किया जाएगा।
एंटनी ने संवाददाताओं से कहा कि जब तक सशस्त्र बलों की उपस्थिति जरूरी है तब उन्हे विशेष प्रावधान की आवश्यकता होगी। विशेष शक्तियों के बिना वे काम नहीं कर पाएंगे।
एंटनी ने कहा कि अगर हम देखें तो जम्मू एवं कश्मीर और पूर्वोत्तर की स्थिति में सुधार हुआ है। गौरतलब है कि जम्मू एवं कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला सहित कई लोगों ने सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून को रद्द करने की मांग की है। इन सभी का कहना है कि इस कानून से मानवाधिकारों का उल्लंघन होता है।
जम्मू-कश्मीर से सैनिकों को हटाया गया उधर, जम्मू-कश्मीर में सुधर रही स्थिति को देखते हुए सरकार ने शुक्रवार को कहा कि इसने राज्य से सेना के दो डिविजन को हटा लिया है, जिसमें 30 हजार सैनिक होते हैं। साथ ही सरकार ने स्पष्ट किया कि आर्म्ड फोर्सेस स्पेशल पावर्स एक्ट को फिलहाल नहीं हटाया जा सकता। बहरहाल इसने विवादास्पद अधिनियम में कुछ परिवर्तन लाने के लिए विस्तृत चर्चा का पक्ष लिया।
रक्षा मंत्री ए के एंटनी ने मानवाधिकार पर एक सेमिनार के इतर संवाददाताओं से कहा कि अपनी पहल पर भारतीय सेना ने जम्मू-कश्मीर से दो डिविजन [30 हजार सैनिकों को] को हटा लिया है। पिछले वर्ष एक डिविजन हटाया गया और इस वर्ष एक डिविजन हटाया गया है। स्थिति सुधरने के कारण उन्हें हटाया गया।
एंटनी ने कहा कि जब भी राज्य सरकार को महसूस होगा कि वह सेना के बगैर सुरक्षा व्यवस्था संभाल लेगी तो फौज की संख्या में और कटौती कर दी जाएगी। उन्होंने कहा कि जब तक राज्य में सेना तैनात है तब तक एएफएसपीए लागू रहेगा।
रक्षा मंत्री ने कहा कि विशेष शक्तियों के बगैर वह प्रभावशाली तरीके से कार्य नहीं कर सकेंगे। उन्होंने कहा कि स्थिति में सुधार होने पर सरकार स्वयं राज्य में सैनिकों की दृश्यता एवं उपस्थिति कम करना चाहती है। रक्षा मंत्री ने यह भी कहा कि अधिनियम के कुछ प्रावधानों में संशोधन के लिए विस्तृत चर्चा हो सकती है। राज्य की स्थिति में सुधार का श्रेय से
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